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ऊखीमठ पुलिस विभाग ने की एक बड़ी मिसाल पेश 12 साल के आर्यन अधिकारी जो अपने परिवार से बिछड़ा हुआ था उस बिछड़े हुए बालक को ढूंढकर उनके परिवार के पास सुरक्षित वापस लौटाया गया। पढिए पूरी खबर और विडियो देखिए ‌

ऊखीमठ पुलिस विभाग ने की एक बड़ी मिसाल पेश 12 साल के आर्यन अधिकारी जो अपने परिवार से बिछड़ा हुआ था उस बिछड़े हुए बालक को ढूंढकर उनके परिवार के पास सुरक्षित वापस लौटाया गया। पढिए पूरी खबर और विडियो देखिए ‌

हिमालय की आवाज से खोजी संवाददाता-हरीश चन्द्र देव भूमि उत्तराखंड से

 

खबर है रुद्रप्रयाग जिले व ऊखीमठ थाना से – आपको बता दें कि 12 साल का आर्यन अधिकारी नाम का लड़का 16

मई 2024 को अपने परिवार से बिछड़ गया था बता दें कि आर्यन अधिकारी के बिछड़ने पर उनके घर परिवार में बहुत निरासी छा गई थी और व बहुत परेशान थे वहीं पुलिस प्रशासन ऊखीमठ द्वारा विशेष जानकारी के अनुसार आर्यन अधिकारी के पिता का नाम मिन्दल अधिकारी हैं और वह जमाली थाना कालीकोट के साथ नेपाली मूल के निवासी हैं और विगत कुछ महीनों से गुप्तकाशी क्षेत्र के खुमेरा गांव के अन्तर्गत पड़ने वाला गांव देवी धार में रहते हैं बता दें कि गुरुवार को आर्यन अधिकारी अपने घर परिवार से विछड़ गया था। आर्यन अधिकारी अपने घर परिवार से विछड़ने पर वह सीधे औकारेश्वर मन्दिर ऊखीमठ में घूमते फिरते आ रहा था जैसे ही थाना ऊखीमठ के पुलिस विभाग को सूचना मिली तो उन्होंने ने आर्यन अधिकारी को ढूंढकर उसे सीधे ऊखीमठ थाना में लाया गया और फिर मोबाइल फोन के माध्यम से आर्यन अधिकारी के परिवार में सम्पर्क किया जैसे ही आर्यन अधिकारी के परिवार में सूचना मिली कि वह मिल गया है वैसे ही आर्यन अधिकारी के दादा को पुलिस विभाग ऊखीमठ द्वारा उनके दादा को थाने में बुलाया और फिर बिछडे़ आर्यन अधिकारी को उनके दादा को सुरक्षित वापस भेज दिया वहीं इस मौके पर वन पंचायत सरपंच पवन राणा ने भी आर्यन अधिकारी से ऊखीमठ थाने में जाकर मिले बता दें कि वन पंचायत सरपंच पवन राणा और आर्यन अधिकारी के बीच काफी लम्बी बातचीत भी हुई जिसमें यह स्पष्ट हुआ है कि आर्यन अधिकारी एक नेपाली मूल का व्यक्ति जरूर है पर उनकी सोच और पहनाव सिर्फ पहाड़ी और गढ़वाली लोगों की तरह है खुद आर्यन अधिकारी ने अपने आप बताया कि उन्हें नेपाली न कहा जाए बल्कि उन्हें गढ़वाली व्यक्ति के नाम से बोला जाए विशेष बात तो यह रही कि आर्यन अधिकारी पढ़ना लिखना चाहता है और बड़े होकर आर्मी फ़ौज में जाना चाहते हैं साथ ही फौजी बनकर देश की सेवा करने चाहते हैं जिसको देखते हुए वन पंचायत सरपंच पवन राणा ने उन्हें 200 रूपए का ईनाम भी दिया गया और राणा द्वारा आर्यन अधिकारी का हौसला बढ़ाया गया जिससे आर्यन अधिकारी काफी उत्साहित दिखे और ऊखीमठ थाने एक आर्मी जवान की तरह सउलूट भी मारा गय। इस मौके पर मुंशी प्रकाश आर्य, होमगार्ड जवान राखी, रतन सिंह मौके पर मौजूद थे। अंत में इस घटना से हमें यह सीख मिलती है कि जात व धर्म बड़ी नहीं होती है बल्कि व्यक्ति के विचार और गुण व सोच बड़ी हो तो वह व्यक्ति कहा से कहा पहुंच जाता है या फिर कुछ भी कर सकता है यह इस युग और धर्म में सत्यता कहानी है। आप सभी लोग जुड़े रहे हिमालय की आवाज देव भूमि उत्तराखंड से।

 

 

 

 

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