खबर है रुद्रप्रयाग जिले व केदारनाथ धाम से क्या कहा ट्रेट यूनियन के संस्थापक अवतार सिंह नेगी ने पढिए पूरी खबर आप सभी को विदित है
बाबा केदारनाथ धाम यात्रा को लेकर घोड़े खच्चर संचालन एव अन्य कई महत्वपूर्ण व्यवस्थाएं को लेकर प्रशासन अपने रवैया कठोर
देव भूमि उत्तराखंड से संवादाता-हरीश चंद्र ऊखीमठ
खबर है रुद्रप्रयाग जिले व केदारनाथ धाम से क्या कहा ट्रेट यूनियन के संस्थापक अवतार सिंह नेगी ने पढिए पूरी खबर आप सभी को विदित है कि विगत
19.4.2024 को लोकसभा चुनाव का प्रथम चरण संपन्न हो गया जिसमें उत्तराखंड भी चुनाव प्रक्रिया से मुक्त हो चुका है और अब आगामी गतिविधियां चार धाम तीर्थ यात्राओं के संचालन और परिचालन पर सभी का ध्यान केंद्रित होने जा रहा है जिसमें मुख्य रूप से जनपद रुद्रप्रयाग के अंतर्गत बाबा केदारनाथ जी के पवित्र और अति पावन धाम श्री केदारनाथ जी की यात्रा संचालन संबंधी सभी व्यवस्थाओं पर अधिकारी कर्मचारी और क्षेत्रीय जनप्रतिनिधि गन अपनी अपनी जिम्मेदारियां निभाने के लिए अपने-अपने कर्तव्य पालन का आवश्यक प्रयास करने जा रहे हैं मुझे इसी परिपेक्ष में इस पोस्ट के माध्यम से आप सभी जनमानस एवं शासन प्रशासन के अधिकारी व सत्ता पर आरुढ उत्तराखंड सरकार के मुखिया आदि सभी के संज्ञान में कुछ मुख्य बातें लानी है हालांकि मुझे पता है कि मेरे यह सब कहने के बावजूद भी शायद ही उत्तराखंड और भारत सरकार की डबल इंजन की सत्ता इन चीजों पर गौर करें लेकिन मेरी मजबूरी यह है कि मुझे यह सच्चाई से भरा परिदृश्य आप सबके सामने रखना अति आवश्यक है क्योंकि मुझे इन सभी चीजों का बोध है इसका कारण यह है कि मैं पिछले 30 वर्षों से केदारनाथ यात्रा व्यवस्था को लगातार देखा और व्यवहार करता चला आ रहा हूं जिसमें मुझे सोन प्रयाग से और केदारनाथ के मध्य की भौगोलिक प्रस्तुति अर्थात भौगोलिक आकृति या यूं कहें की भौगोलिक संकुचन स्थान की अनुपलब्धता के कारण किसी भी प्रकार के नियम को लागू कर पाना असंभव हो जाता है और प्रतिवर्ष नए-नए नियम कानून लागू करने के प्रयास निरंतर असफल ही साबित होते हैं जिसके तहत खासकर घोड़ा खच्चर संचालन उनकी संख्या का निर्धारित संख्या में अनुपालन और खासकर गौरीकुंड से केदारनाथ की बीच पैदल मार्ग पर झुग्गी झोपड़ियां और छोटी-मोटी दुकानों अथवा घोड़े खचरों की डेरा से संबंधित सभी बातें जो प्रशासन इस बार सिरे से नकlरने के प्रयास में है लेकिन मेरी दृष्टि में वह अव्यवहारिक है इस परपेक्ष में मेरा मानना यह है कि बिना घोड़े खच्चर के संचालन की केदारनाथ तीर्थ यात्रा वर्तमान परिस्थितियों में सफल नहीं हो सकती है जहां एक तरफ हजारों तीर्थ यात्रियों एवं स्थानीय तीर्थ पुरोहितों अथवा दुकानदारों के लिए खाद्यान्न सामग्री की उपलब्धता केदारनाथ में अति आवश्यक है जो कि घोड़े के माध्यम से ही पहुंचाई जाती है और ऊपर से पुनर्निर्माण की सामग्री भी केवल घोड़े से ही पहुंचाई जाती है साथ-साथ तीर्थ यात्रियों को भीपैदल मार्ग की कठिन चढ़ाई को घोड़े पर सवारी करके ही करनी पड़ती है और यह सभी काम एक साथ संचालित किए जाते हैं जिसमें गौरीकुंड से केदारनाथ के बीच पैदल मार्ग पर कई स्थानों पर चाय पानी और नाश्ते की दुकान वह घोड़ी खचरों की डेरे इत्यादि रहना एक आम बात है क्योंकि रास्ते में तीर्थ यात्री को जब कहीं पर चाय पानी नाश्ता खाने की व्यवस्था की आवश्यकता पड़ती है तो दुकान न होने के अभाव में अथवा छोटी-छोटी व्यवस्थाएं नहीं रहने पर तीर्थ यात्री बहुत परेशानी का सामना कर सकते हैं और ऊपर से यदि अगर प्रशासन के द्वारा सारे के सारे घोड़े सोनप्रयाग से ही संचालित की जान का नियम लागू कराया गया तो रास्ते में थकावट महसूस करने वाले तीर्थ यात्री को घोड़ा उपलब्ध न होने की स्थिति में वह भी एक परेशानी का कारण बन सकता है दूसरी बात यह है कि यदि गौरीकुंड में समुचित घोड़ा पड़ाव सरकारी व्यवस्था नहीं है तो ग्राम पंचायत गौरीकुंड के निवासियों द्वारा अपने खेतों को घोड़े खचरों को रहने के लिए स्थान उपलब्ध कराए जाते थे क्योंकि इस बार प्रतिबंध होने से एक बहुत बड़ी समस्या खड़ी हो गई है क्योंकि लगभग 5 से 7000 घोड़े खच्चर गौरीकुंड गांव के निवासियों के खेतों में अपने डेरे लगा करके रहते थे लेकिन वर्तमान में गौरीकुंड में स्थित मंदिर समिति के द्वारा अपनी जमीन की चार दिवारी करके आसपास के खेतों में जाने वाले रास्तों को बंद कर दिया गया है और दूसरी तरफ गौरीकुंड में स्थित हेलीपैड पर भी दूसरे प्रकार के निर्माण कार्य जारी हैं जिसमें दो-तीन सेट बनाए जा रहे हैं जहां पर आमतौर पर घोड़े खड़े रहते थे और घोड़े की आवाजाही सभी के खेतों से हेलीपैड के रास्ते घोड़ा पड़ाव गौरी कुंड तक आने-जाने की सोलियत रहती थी लेकिन इस बार मंदिर समिति से आने वाले रास्ते बंद करने से ऊपर खेतों में घोड़े खतरों को रहने का स्थान उपलब्ध ही नहीं हो रहे हैं क्योंकि आवागमन के लिए रास्ते की उपलब्धता के अभाव में गांव वालों के खेतों में भी जो घोड़े रहते थे वह अब वहां नहीं रह पाएंगे ऐसे में प्रशासन की माने तो प्रशासन कहता है कि सोनप्रयाग से ही घोड़े का संचालन किया जाएगा l किए जाने से हमें कोई परेशानी नहीं है लेकिन परेशानी सटल सेवा की गाड़ियों के साथ-साथ में घोड़े का संचालन एक प्रकार से बिल्कुल ही अव्यावहारिक फैसला साबित होगा क्योंकि इतनी बड़ी तादात में घोड़ा घोड़े का आना-जाना और सटल सेवा की गाड़ियों के आवागमन के मध्य कई बार दुर्घटनाएं घटने की पूरी-पूरी संभावना रहेगी जिसमें चलती गाड़ियों के द्वारा घोड़े खचरों को चोट पहुंचाई जा सकती है अथवा घोड़े खचरों के द्वारा भी गाड़ियों के शीशे अधिकांश तह तोड़े जाएंगे और अगर सोनप्रयाग से घोड़े में सवारी बिठाकर के ले जाने का प्रयास किया गया तो भी दुर्घटना घटने की पूरी पूरी संभावना बनी रहेगी अब इन तमाम विसंगतियों को देखते हुए मुझे यह कहना है कि कुछ मूलभूत चीजों को जैसे सफाई व्यवस्था और जाम इत्यादि की व्यवस्था को मध्य नजर रखते हुए यदि पूर्व की भांति ही सारी चीज यथावत नहीं रखी गई तो आने वाले यात्रा कल पर बहुत बड़ा प्रतिकूल प्रभाव पड़ेगा जिसमें स्थानीय बेरोजगार मजदूर वर्ग व व्यवसाय के जीवन पर भी प्रभाव पड़ेगा और आने वाले आस्थावान तीर्थवयात्री को भी अव्यवस्था का शिकार होकर के दुखी होना पड़ेगा इसलिए मैं करबद्ध याचना करना चाहता हूं कि प्रशासन जहां एक तरफ व्यवस्थाओं में सुधार लाने के प्रयास का बिगुल बजा रहा है वही कठिन से कठिन नियम कानून को लागू करने के परिणामों से आने वाली परेशानियों का आकलन करते हुए नए नियम में शीतलता व्रतने की कृपा करेगा जिसमें खासकर घोडे खचरों को रहने एवं निवास करने के स्थान से संबंधित विषय पर मंदिर समिति के आसपास से गुजरने वाले रास्ते को खोलते हुए और हेलीपैड गौरीकुंड वाले रास्ते को खुला रखते हुए गौरीकुंड के निवासियों के खेतों में पूर्व की भांति घोड़े खचरों के रहने व निवास करने की व्यवस्था को यथावत रखवाते हुए और घोड़ा पड़ाव के ऊपर बड़े गेट के आसपास ऊपर स्थान पर जहां भी घोड़े निवास करते हैं वह वन पंचायत की भूमि जिसमें पूर्व से ही घोड़े खच्चर रात्रि निवास करते हैं उनको यथावत रखा जाए ताकि यात्रा व्यवस्था के संचालन में बहुत ज्यादा परेशानी का सामना न करना पड़े इसी प्रकार से मादक पदार्थों के सेवन जिसमें मांस मदिरा इत्यादि के प्रचलन पर भी प्रतिबंध लगाए जाने का पूरा प्रयास किया जाना चाहिए और मुख्य रूप से शासन प्रशासन व स्थानय व्यवसाययों घोड़े खच्चर स्वामी तीर्थ पुरोहितों होटल व्यवसाययों सभी को आपसी सामंजस्य स्थापित करते हुए किसी भी प्रकार के टकराव की स्थिति को निर्मित ना होने देने का प्रयास करना चाहिए जिससे हम सभी के रोजगार रोजी-रोटी आजीविका के साथ-साथ में देश-विदेश से आने वाले तीर्थ यात्रीओं की आस्था को भी किसी प्रकार की ठेस न पहुंचे ऐसा स्वस्थतम वातावरण केदार धाम की यात्रा के संचालन में पैदा करने का हम सबको अपने-अपने स्तर से शुद्ध अंतःकरण से प्रयास करना चाहिए।