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ज्योतिर्मठ के शङ्कराचार्य जी ने बांग्लादेश विषय पर लिखा राष्ट्रपति को पत्र।

कहा भारत आने वाले सभी के भोजन वस्त्र की व्यवस्था को शङ्कराचार्य स्वयं हैं तैयार।

ज्योतिर्मठ के शङ्कराचार्य जी ने बांग्लादेश विषय पर लिखा राष्ट्रपति को पत्र।

कहा भारत आने वाले सभी के भोजन वस्त्र की व्यवस्था को शङ्कराचार्य स्वयं हैं तैयार।

यह है पत्र

वरिष्ठ संवाददाता :-BHP News :-ॐ प्रकाश केदारखंडी, हिमालय की आवाज देवभूमि केदारनाथ धाम

तिथि : विक्रम संवत् २०८१ श्रावण शुक्ल पक्ष दशमी बुधवार तदनुसार १४ अगस्त २०२४ ईसवी सन्

 

महमहिम श्रीमती द्रौपदी मुर्मु जी, राष्ट्रपति भारत

द्वारा सचिव राष्ट्रपति महोदया

सेंट्रल रजिस्ट्री सेक्शन (प्रवेशद्वार संख्या ३८ चर्च रोड से)

राष्ट्रपति सचिवालय, राष्ट्रपति भवन, नई दिल्ली – ११०००४

ईमेल : presidentofindia@rb.nic.in

us.petitions@rb.nic.in

दूरभाष : ०११-२३०१३३२४, ०११-२३०१४९३०

महोदया !

आप और राष्ट्र का सर्वविध उत्कर्ष हो इस शुभाशंसा के साथ सम्पूर्ण विश्व के हिन्दुओं के गुरु होने के नाते मैं आपका ध्यान इस भयावह तथ्य की ओर आकर्षित करना चाहता हूँ कि पड़ोसी राष्ट्र बांग्लादेश में ५ अगस्त २०२४ ई० के दिन हुए सत्ता परिवर्तन के पश्चात् से उक्त देश में उसके मूल निवासी अल्पसंख्यक हिन्दू धर्मावलम्बी निरपराध स्त्री, पुरुष एवं अबोध बालकों की नृशंस हत्या की जा रही है। हिन्दू महिलाओं के साथ बलात्कार किया जा रहा है । हिन्दुओं की सम्पत्तियों को नष्ट किया जा रहा है। वहाँ की वर्तमान सत्ता हिन्दुओं पर उपद्रवी तत्वों के द्वारा किये जा रहे बर्बर अत्याचारों को रोकने में अब तक समर्थ नहीं हो सकी है।

यह सर्वविदित तथ्य है कि वर्ष १९४७ में भारत वर्ष का विभाजन चरमपंथियों की इसी चिन्तनधारा के आधार पर हुआ था कि हिन्दुओं तथा मुस्लिमों की धार्मिक मान्यताओं, रूढ़ियों, प्रथाओं, उपासना पद्धतियों, सभ्यताओं , संस्कृतियों, इतिहासों आदि के अन्तर के कारण ये दोनों दो पृथक् राष्ट्र हैं और इनसे एक राष्ट्र का निर्माण नहीं किया जा साकता है। उनकी इसी सोच के आधार पर भारत का विभाजन हुआ जिसके कारण आज के ही दिन अर्थात् १४ अगस्त १९४७ के दिन पाकिस्तान का जन्म हुआ। पाकिस्तान के विभाजन के पश्चात् १६ दिसम्बर १९७१ के दिन पाकिस्तानी सेना के द्वारा भारतीय सेना के समक्ष किये गए आत्मसमर्पण के फलस्वरूप बांग्लादेश अस्तित्व में आया।

विभाजन के पश्चात् जब मुसलमान जनसंख्या का भारत से पाकिस्तान और हिन्दू जनसंख्या का पाकिस्तान से भारत आव्रजन हो रहा था उस समय उपद्रवियों ने कई लाख आवाजाही कर रहे लोगों की हत्या कर दी जिसके कारण जनसंख्या की अदला-बदली का काम रोक दियाा गया और लुई माउण्टबेटन की सलाह पर पाकिस्तानी सत्ता के शिखरपुरुष जनाब मुहम्मद अली जिन्ना तथा भारतीय सत्ता के कर्णधारों – श्री जवाहरलाल नेहरू एवं श्री सरदार वल्लभभाई पटेल ने यह आश्वासन दिया कि अब किसी को अपना देश छोड़ने की आवश्यकता नहीं है जो जहाँ है वहीं रहे उनके धर्म, जीवन और सम्पत्ति की सुरक्षा उन्हीं के मूल स्थान पर वहाँ की शासन सत्ता सुनिश्चित करेगी। ऐसी स्थिति में बांग्लादेश में रह रहे वहाँ के मूल निवासी हिन्दुओं जिनके कि पूर्वज विभाजन के पूर्व भारत के ही नागरिक थे उनकी सुरक्षा सुनिश्चित करवाना या करना हिन्दुओं के वोट से अर्जित बहुमत प्राप्त भारत सरकार की न केवल नैतिक बल्कि बचनबद्धताजन्य जिम्मेदारी भी है। भारत संघ के द्वारा पारित किये गए नागरिक संशोधन अधिनियम २०१९ के अन्तर्गत ३१ दिसम्बर २०१४ ई० तक अफगानिस्तान, पाकिस्तान तथा बांग्लादेश से विस्थापित भारत में प्रवेश कर चुके हिन्दुओं और उसके व्युत्पन्नों को भारतीय नागरिकता देने का प्रावधान से भी यह द्योतित होता है कि वर्तमान भारत सरकार को अपनी पूर्ववर्ती सरकार द्वारा दिए गए वचन का न ही केवल बोध है बल्कि इसके लिए वह प्रतिबद्ध भी है।

विविध माध्यमों से ज्ञात होता है कि भारत में सवा करोड़ के लगभग रोहिंग्या और बांग्लादेशी मुसलमान घुसपैठिए रह रहे हैं उनको अविलम्ब भारत से उनके देश में भेज कर भारत को अपना भार हल्का कर आपततः हमारे हिन्दुओं को जिनके लिए यह राष्ट्र बना है उन हिन्दुओं को हिन्दुओं के प्रबल समर्थक एवं रक्षक माने जाने वाले माननीय प्रधान मन्त्री श्रीमान नरेन्द्र दामोदरदास मोदी जी के नेतृत्व वाली आपकी सरकार को तत्काल अल्पकालिक शरण देनी चाहिए पश्चात् उनके लिए बांग्लादेश के भीतर उनको सुरक्षित रूप से रहने की स्थायी व्यवस्था हेतु वर्ष १९७१ ई० में भारत सरकार द्वारा शरणार्थियों की समस्या के स्थायी समाधान हेतु उठाए गए कदमों की भाँति सभी आवश्यक कदम उठाने चाहिए ।

अतः ऐसी स्थिति में आपसे और आपके माध्यम से माननीय प्रधान मन्त्री जी से मेरा यह व्यक्तिगत और सभी हिन्दुओं की ओर से उनके जगद्गुरु के रूप में यह साग्रह अनुरोध है कि जब तक बांग्लादेश के अन्दर हिन्दुओं की सुरक्षा व्यवस्था पूर्णरूपेण सुनिश्चित नहीं कर ली जाती तब तक वहाँ से पलायन कर भारत की सीमा पर एकत्रित हुए *करुणा की पुकार कर रहे बांग्लादेशी हिन्दुओं को भारत में सेना और प्रशासन के नियन्त्रण में शरण दी जाए। हम यह वचन देते हैं कि उन शरणार्थी हिन्दुओं के भोजन और वस्त्र पर होने वाले व्यय भार का वहन हम हिन्दू धर्माचार्य, हमारे धर्मावलम्बी और हमारे हिन्दू धन कुबेर करेंगे एतदर्थ हम सरकारी कोष पर भार नहीं आने देंगे। हमारे हिन्दुओं की रक्षा करें ।

 

विश्व में कहीं भी हिन्दुओं पर संकट आए तो भारत की भूमि से यह स्पष्ट सन्देश सदा रहना चाहिए कि विपत्ति आने पर हिन्दू अपने भारत देश में कभी भी जाकर शरण ले सकते हैं।

आपका और राष्ट्र का कल्याण हो।

सनातन धर्मावलम्बी हिन्दू और इसके सभी व्युत्पन्नों का हितैषी

 

(परमाराध्य परमधर्माधीश उत्तराम्नाय ज्योतिष्पीठाधीश्वर जगद्गुरु शङ्कराचार्य

स्वामिश्रीः अविमुक्तेश्वरानन्दः सरस्वती ‘१००८’)

 

यह जानकारी परमधर्माधीश शंकराचार्य जी महाराज के मीडिया प्रभारी संजय पाण्डेय ने दी है।

 

प्रेषक

संजय पाण्डेय

मीडिया प्रभारी।

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