हरेला मैराथन 2024!– तुंगनाथ मंदिर से दिल्ली तक 500 किमी की मैराथन में दौड़ेगी उत्तराखंड की फ्लाइंग गर्ल भागीरथी बिष्ट ..
हरेला को राष्ट्रीय पर्व घोषित करना है मैराथन का उद्देश्य
हरेला मैराथन 2024!– तुंगनाथ मंदिर से दिल्ली तक 500 किमी की मैराथन में दौड़ेगी उत्तराखंड की फ्लाइंग गर्ल भागीरथी बिष्ट ..
हरेला को राष्ट्रीय पर्व घोषित करना है मैराथन का उद्देश्य
हिमालय की आवाज से खोजी संवाददाता-हरीश चन्द्र देव भूमि ऊखीमठ से।
खबर है रुद्रप्रयाग जिले व ऊखीमठ ब्लॉक से आपको बता दें कि 19 सितंबर से 24 सितंबर तक आयोजित होगी मैराथन
सिरमौरी चीता और अंतरराष्ट्रीय एथलीट सुनील शर्मा भी कर रहें हैं मैराथन में प्रतिभाग
उखीमठ।
19 सितंबर से तुंगनाथ मंदिर से दिल्ली तक 500 किमी की मैराथन का आयोजन किया जा रहा है। हरेला मैराथन 2024 के आयोजक अभिषेक मैठाणी ने बताया की हरेला लोकपर्व को राष्ट्रीय पर्व घोषित करने के उद्देश्य को लेकर मैराथन आयोजित की जा रही है। इस मैराथन में उत्तराखंड की फ्लाइंग गर्ल भागीरथी बिष्ट, सिरमौरी चीता और अंतरराष्ट्रीय एथलीट सुनील शर्मा सहित अन्य लोग प्रतिभाग कर रहें है। गौरतलब है की पंच केदारों में तृतीय केदार भगवान तुंगनाथ मंदिर की ऊंचाई 3640 मीटर है। यह मंदिर तुंगनाथ पर्वत पर स्थित है। पंचकेदारों में यह मंदिर सबसे ऊंचाई पर स्थित है। मान्यता है कि इसी स्थान पर शिवजी भुजा रूप में विद्यमान हैं। इसलिए प्राचीनकाल के इस मंदिर में भगवान शिव के भुजाओं की पूजा होती है।
ये है लोकपर्व हरेला !
उत्तराखंड में मनाया जाने वाला लोकपर्व ‘हरेला’ प्रकृति को सुंदर और हरा भरा रखने का त्योहार है। इस पर्व के पीछे हरियाली, अच्छी फसल की कामना है, खुशहाली का आशीष है, बुजुर्गों का आर्शीवाद है। उत्तराखंड के गांवों से देश-विदेश में बसे लोग चिट्ठियों के लिए जरिए हरेला के तिनकों को आशीष के तौर पर भेजते हैं। गाजे-बाजे के साथ इस दिन पूरे पहाड़ में पौधे भी लगाए जाते हैं। उत्तराखंड को शिवभूमि कहा जाता है, क्योंकि यहां केदारनाथ ज्योतिर्लिंग और शिवजी का ससुराल भी है. इसलिए उत्तराखंड में हरेला पर्व की खास महत्व है. इस दिन लोग भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा भी करते हैं।
ये है फ्लाइंग गर्ल भागीरथी बिष्ट !
महज 23 साल की भागीरथी उत्तराखंड के सीमांत जनपद चमोली के अंतिम वाण गांव की रहने वाली है। भागीरथी को संघर्ष और आभाव विरासत में मिला। महज तीन वर्ष की छोटी आयु में भागीरथी के पिताजी की असमय मृत्यु हो गयी थी। जिस कारण भागीरथी के पूरे परिवार पर दुःखों का पहाड़ टूट पडा था। जैसे तैसे परिस्थियों से लडकर होश संभाला और कभी भी हार नहीं मानी। भागीरथी पढ़ाई के साथ साथ घर का सारा काम खुद करती थी यहाँ तक की अपने खेतों में हल भी खुद ही लगाया करती थी। मन में बस एक ही सपना है की एक दिन ओलम्पिक में देश के लिए पदक जीतना और अपनें गांव, राज्य, देश, कोच का नाम रोशन करना है। भागीरथी अपनी रफ्तार से दुनिया के फलक पर चमक बिखेरेने के लिए कडी मेहनत कर रही है। भागीरथी ने देश के विभिन्न हिस्सों में आयोजित मैराथनो जम्मू कश्मीर, चंडीगढ़, अमृतसर, हैदराबाद, नई दिल्ली, नोएडा, ऋषिकेश में प्रथम स्थान प्राप्त करके अपनी सफलता का परचम लहराया है। इस मौके पर प्रधान विजयपाल सिंह नेगी व मन्दिर समिति के कर्मचारी और तीर्थ पुरोहित मौजूद रहे/