द्वितीय केदार के नाम से विख्यात भगवान मद्महेश्वर की चल विग्रह उत्सव डोली शनिवार को अपने शीतकालीन गद्दी स्थल ओंकारेश्वर मंदिर ऊखीमठ से कैलाश धाम के लिए रवाना हो गई है अब इतने तारीख खुलेंगे धाम के कपाट पढिए पूरी खबर।
द्वितीय केदार के नाम से विख्यात भगवान मद्महेश्वर की चल विग्रह उत्सव डोली शनिवार को अपने शीतकालीन गद्दी स्थल ओंकारेश्वर मंदिर ऊखीमठ से कैलाश धाम के लिए रवाना हो गई है अब इतने तारीख खुलेंगे धाम के कपाट पढिए पूरी खबर।
हिमालय की आवाज से खोजी संवाददाता-हरीश चन्द्र देव भूमि उत्तराखंड से
खबर है रुद्रप्रयाग जिले व मद्महेश्वर धाम से आपको बता दें कि द्वितीय केदार के नाम से विख्यात भगवान मद्महेश्वर धाम की चल विग्रह उत्सव डोली अपने शीतकालीन गद्दी स्थल ओंकारेश्वर मंदिर ऊखीमठ से शनिवार को सुबह शुभ मुहूर्त और विधि-विधान के साथ अपने धाम कैलाश के लिए रवाना हो गई है। जानकारी देते हुए वेदपाठी आचार्य विश्वनाथ मोहन जमलोकी ने बताया कि द्वितीय केदार भगवान मद्महेश्वर की चल विग्रह उत्सव डोली 18 मई को सुबह अपने धाम के लिए रवाना हो गई है,जो कि बगवाड़ी, ब्रहामण खोली, मंगोली, सलामी, पालीफाफज, मनसूना राऊलैक, उनियाणा से सभी भक्तों को दर्शन व आशीर्वाद देते होते हुए प्रथम रात्रि प्रवास के लिए राकेश्वरी मन्दिर रांसी में विराजमान होगी और फ़िर 19 मई को द्वितीय केदार भगवान मद्महेश्वर की चल विग्रह उत्सव डोली राकेश्वरी मन्दिर रांसी से बिभिन्न पड़ावों को होते हुए द्वितीय रात्रि विश्राम के लिए गौडार में विराजमान होगी। साथ ही सुबह द्वितीय केदार भगवान मद्महेश्वर की चल विग्रह उत्सव डोली गौडार से अपने बिभिन्न पड़ावों को होते हुए 20 मई को अपने धाम मद्महेश्वर मन्दिर में पहुंच जायेगी द्वितीय केदार भगवान मद्महेश्वर की चल विग्रह उत्सव डोली मद्महेश्वर धाम में पहुंचते ही धाम के नियुक्त हुए पुजारी टी गंगाधर लिंग महाराज द्वारा विधि-विधान व मन्त्रों उच्चारण के साथ द्वितीय केदार भगवान मद्महेश्वर के कपाट सभी देश विदेश से आने वाले श्रद्धालुओं के दर्शन के लिए खोल दिये जायेगे। बता दें कि द्वितीय केदार भगवान मद्महेश्वर के कपाट खुलने के बाद सभी देश विदेश से आने वाले श्रद्धालुओं को 6 महीनों तक द्वितीय केदार के नाम से विख्यात भगवान मद्महेश्वर के दर्शन करेंगे जो ग्रीष्मकाल तक दर्शन करने की प्रक्रिया जारी रहेगी। इस मौके पर केदारनाथ धाम के रावल श्री श्री 1008 जगत गुरू भीमा शंकर लिंग महाराज, मन्दिर समिति के वरिष्ठ प्रशासनिक अधिकारी युद्धवीर सिंह पुष्पवान, दीपक पंवार, नवीन मैठाणी, के साथ तमाम सैकड़ों श्रद्धालुओं ग्रामीण मौजूद थे।