ढोल दमाऊ की धुन में हजारों श्रद्धालुओं के साथ तृतीय केदार भगवान तुंगनाथ की चल विग्रह उत्सव डोली अपने शीतकालीन गद्दी स्थल मर्कटेश्वर तीर्थ मक्कूमठ से हुई कैलाश के लिए रवाना पढिए पूरी खबर
ढोल दमाऊ की धुन में हजारों श्रद्धालुओं के साथ तृतीय केदार भगवान तुंगनाथ की चल विग्रह उत्सव डोली अपने शीतकालीन गद्दी स्थल मर्कटेश्वर तीर्थ मक्कूमठ से हुई कैलाश के लिए रवाना पढिए पूरी खबर
हिमालय की आवाज से खोजी संवाददाता-हरीश चन्द्र देव भूमि उत्तराखंड से
खबर है रुद्रप्रयाग जिले के तुंगनाथ घाटी से आपको बता दें कि देव भूमि उत्तराखंड में लगातार चार धामों के कपाट खुलने की प्रक्रिया शुरू हो चुकी है जिसको देखते हुए मंगलवार को तृतीय केदार भगवान तुंगनाथ की चल विग्रह उत्सव डोली भी अपने शीतकालीन गद्दी स्थल मर्कटेश्वर तीर्थ मक्कूमठ से तुंगनाथ धाम के लिए हजारों श्रद्धालुओं के साथ रवाना हो चुकी है। प्रधान मक्कूमठ विजय पाल नेगी ने बताया कि मंगलवार को तृतीय केदार के नाम से विख्यात भगवान तुंगनाथ की चल विग्रह उत्सव डोली अपने शीतकालीन गद्दी स्थल मर्कटेश्वर तीर्थ मक्कूमठ से कैलाश के लिए रवाना हो गयी है उन्होंने कहा कि बाबा तुंगनाथ की चल विग्रह उत्सव डोली के रवाना होने पर क्षेत्र की महिलाओ द्वारा मांगल गीतो व फूलो और तीर्थ पुरोहितों द्वारा मन्त्रों उच्चारण के साथ डोली को कैलाश के लिए रवाना
किया गया प्रधान नेगी ने कहा कि भगवान तुंगनाथ की चल विग्रह उत्सव डोली सबसे पहले पुढखी नाम स्थान पर पहुंचकर समस्त ग्रामवासियों द्वारा नया आनाज का भोग बाबा तुंगनाथ की डोली को चढ़ाया जाता है। जिसमें समस्त ग्रामवासियों द्वारा क्षेत्र में सुख शांति समृद्धि की कामना की जाती है कहा कि बाबा तुंगनाथ को समस्त ग्रामवासियों द्वारा भोग अर्पित करने के बाद भगवान तुंगनाथ की चल विग्रह उत्सव डोली प्रथम रात्रि प्रवास के लिए भूतनाथ मन्दिर में विराजमान होती है। विशेष बात यह है कि भगवान तुंगनाथ की चल विग्रह उत्सव डोली द्वितीय रात्रि यानी कि 8 मई को भी भूतनाथ मन्दिर में भक्तों के बीच रहती है जिसमें क्षेत्र के श्रद्धालु पूरे दिन बाबा के दर्शन करते हैं। वहीं 9 मई को बाबा तुंगनाथ की चल विग्रह उत्सव डोली भूतनाथ मन्दिर से रवाना होकर पाव, चिलियासौड, पंगेर, वनियाकुण्ड जैसे विभिन्न पड़ावों होकर अंतिम रात्रि प्रवास के लिए चोपता में पहुंचेगी और फिर 10 मई को बाबा तुंगनाथ की चल विग्रह उत्सव डोली अपने केलाश धाम पहुंचेगी और ठीक 12 बजे तीर्थ पुरोहितों द्वारा विधि-विधान से मन्त्रों उच्चारण के साथ बाबा तुंगनाथ के कपाट ग्रीष्मकाल के लिए समस्त भक्तों व श्रद्धालुओ के लिए खोल दिये जायेगे। इस मौके पर क्षेत्र के समस्त ग्रामवासी व तीर्थ पुरोहित एव हजारों श्रद्धालु और हक हक्कू धारी, मन्दिर समिति के कर्मचारी मौजूद थे