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अभी भी बिजली,पानी, सड़क, शिक्षा, स्वास्थ्य, पशु आदि मूलभूत समस्या को लेकर गुजर रहा हैं रूद्रप्रयाग जिला का दशज्यूला काण्डई क्षेत्र सरकार व जिलाधिकारी महोदय से कई बार दे चुके हैं ज्ञापन। क्या है इस गाव की समस्याएं आए देखिए।

अभी भी बिजली,पानी, सड़क, शिक्षा, स्वास्थ्य, पशु आदि मूलभूत समस्या को लेकर गुजर रहा हैं रूद्रप्रयाग जिला का दशज्यूला काण्डई क्षेत्र सरकार व जिलाधिकारी महोदय से कई बार दे चुके हैं ज्ञापन। क्या है इस गाव की समस्याएं आए देखिए।

हिमालय की आवाज व बीएचपी न्यूज़ चैनल से खोजी-संवादाता-हरीश चंद्र देव भूमि उत्तराखंड से।

खबर है रुद्रप्रयाग जिले व दशज्यूला काण्डई क्षेत्र से आपको बता दें कि एक तरफ भारत सरकार व उत्तराखंड सरकार यह दावा पेश कर रही है कि भारत वर्ष के हर गांव तक सड़क स्वास्थ्य बिजली पानी शिक्षा की अच्छी सुविधा उपलब्ध होगी वहीं पिछले कई वर्षों से रुद्रप्रयाग जिले में पड़ने वाला क्षेत्र दशज्यूला काण्डई की बात करें तो अभी भी बिजली पानी सड़क शिक्षा स्वास्थ्य और पशुओं आदि मूलभूत समस्या को लेकर बहुत परेशानियो से गुजर रही हैं क्षेत्र के सामाजिक कार्यकर्ता सुदर्शन सिंह नेगी ने बताया कि रुद्रप्रयाग जिले के दशज्यूला काण्डई क्षेत्र अभी भी बिजली पानी सड़क शिक्षा स्वास्थ्य और पशुओं के इलाज को लेकर भारी परेशानी झेल रही है उन्होंने कहा कि घिमतोली से बिजराकोट के बीच यह दशज्यूला काण्डई क्षेत्र पड़ता है जिसमें 10 से 15 गांव शामिल हैं कहा कि कोटखाल से चोपड़ा उठामाडा मोटर मार्ग की योजना विगत कई वर्षों से लटकी हुई है वहीं कालिकातोक अनुसूचित जाति महर गांव की 600 मीटर मोटर मार्ग कार्य भी अभी तक बंद पड़ा हुआ है उन्होंने बताया कि इशाला गांव के ग्रामीणों ने मोटर मार्ग न होने से आगामी लोकसभा चुनावों में मताधिकार का बहिष्कार भी किया लेकिन फिर भी मोटर मार्ग का कोई भी समाधान नहीं किया गया, कहा कि शेरा दुक्या मोटर मार्ग को लेकर ग्रामीणों द्वारा कई वर्षों से संघर्ष व आन्दोलन किया जा रहा है लेकिन फिर भी इस संघर्ष को भी अनदेखी किया जा रहा है नेगी ने कहा कि दशज्यूला काण्डई में दो पशु उप केन्द्र बने हुए हैं लेकिन दोनो पशु उप केन्द्रो में एक भी कर्मचारी की नियुक्ति न होने से दोनों ही पशु उप केन्द्रो विगत कई वर्षों से ताले लटके हुए है उन्होंने बताया कि दशज्यूला काण्डई क्षेत्र में स्वास्थ्य विभाग में एक ही कर्मचारी मौजूद हैं कहा कि एलोपैथिक चिकित्सा में भी एक कर्मचारी मौजूद था लेकिन उस कर्मचारी को भी प्रशासन द्वारा केदारनाथ में भेजा गया सामाजिक कार्यकर्ता सुदर्शन सिंह नेगी ने कहा कि शिक्षा विभाग में भी कई विघालय में विगत कई वर्षों से शिक्षक नहीं जिससे क्षेत्र के बच्चों का भविष्य बर्बाद हो रहा है। कहा कि यही नहीं बल्कि दशज्यूला काण्डई क्षेत्र में विगत कई वर्षों से पानी व बिजली की समस्या होने से ग्रामीण बहुत परेशान हैं कहा कि दशज्यूला काण्डई क्षेत्र के कई गांवों में बिजली के तार पेड़ों पर झूले हुए हैं जिससे क्षेत्र में कभी भी बड़ा हादसा होने का खतरा बना हुआ है वहीं पानी को लेकर उन्होंने ने बताया कि क्षेत्र में जब भी थोडा सा मौसम खराब हो जाता है तो जल संस्थान विभाग के कर्मचारियो द्वारा पानी बन्द किया जाता है और जब उनसे पूछा जाता है तो उनका जवाब यही रहता है कि खराब मौसम के कारण पाईप लाईन टूट गई जो एक एक हफ्ते तक गांव में पानी नहीं आता है कहा कि एसी समस्या बिजली की भी होती है उन्होंने कहा कि इन सभी समस्याओं के निराकरण करने के लिए ग्रामीणों द्वारा लगातार सरकार व जिलाधिकारी और समन्धित विभागीय अधिकारियों से मांग की जा चुकी है लेकिन अभी तक इन समस्याओं का कोई भी निराकरण नहीं किया गया है बल्कि अनदेखी की गई है सामाजिक कार्यकर्ता सुदर्शन सिंह नेगी ने इन सभी समस्याओं को पोस्ट करके अपने शोशल मिडिया पर डाल रही है उन्होंने कहा कि इस पोस्ट का तात्पर्य यह है कि शोशल मिडिया के माध्यम से जिलाधिकारी महोदय व केंद्र सरकार और उत्तराखंड सरकार के संज्ञान में भी फिर से यह जानकारी मिल जाएगी। अंत में उन्होंने कहा कि इन सभी समस्याओं के समाधान करने के लिए क्षेत्र की जनता द्वारा कई बार जिलाधिकारी व उत्तराखंड सरकार को ज्ञापन दिया गया है कहा कि जिलाधिकारी महोदय को तो कई बार मौखिक रूप में भी इन समस्याओं को बताया गया है लेकिन किसी भी जिलाधिकारी व सरकार और नेताओं ने उनकी इन समस्याओं का निराकरण नहीं किया बल्कि किया गया तो सिर्फ अनदेखी, उन्होंने कहा कि इसी अनदेखी के कारण दशज्यूला काण्डई क्षेत्र में इस साल आगामी लोकसभा चुनाव में चुनाव बहिष्कार किया भी गया। अंत में उन्होंने जिलाधिकारी महोदय व उत्तराखंड सरकार से फिर से निवेदन किया कि यह इन मूलभूत समस्याओं का जल्द से जल्द समाधान करे जिससे दशज्यूला काण्डई क्षेत्र के ग्रामीणों को अच्छी सुविधा मिले और उन्हें ऐसी परेशानियों का सामना न करना पड़े।

 

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