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13 साल पूरे होने पर आज भी इस दिन को याद करते ही डर से कांप जाती है नगर पंचायत ऊखीमठ के हर एक आम जनमानस अभी भी लगता है भारी बारिश व आकाशीय बिजली चमकने से डर।

13 साल पूरे होने पर आज भी इस दिन को याद करते ही डर से कांप जाती है नगर पंचायत ऊखीमठ के हर एक आम जनमानस अभी भी लगता है भारी बारिश व आकाशीय बिजली चमकने से डर।

 

हिमालय की आवाज से खोजी संवाददाता-हरीश चन्द्र देव भूमि ऊखीमठ से

खबर है रुद्रप्रयाग जिले व ऊखीमठ ब्लॉक से आपको बता दें कि 13 -14 सितम्बर 2012 को ऊखीमठ तथा उसके आस पास के गांवों में बादल फटा था और इस त्रासदी में लगभग 62 लोगो की जान गयी थी आपतो बता दें कि जब 13-14 सितम्बर का दिन आता है तो विते दुखद घटना आंखों के सामने आती है तो क्षेत्र की जनता के रूह कांप जाती है बता दें कि आपदा के घाव इतने गहरे होते हैं कि इन पर शायद ही कोई मरहम काम कर पाए 13-14 सितंबर 2012 की आपदा में डुंगर सेमलना, किमाणा, गिरिया, संसारी, चुन्नी, मंगोली और प्रेमनगर गांव इस प्राकृतिक आपदा से बुरी तरह से प्रभावित हुए थे वहीं व्यापार मंडल अध्यक्ष राजीव भट्ट व वन पंचायत सरपंच पवन राणा ने कहा कि 13-14 सितंबर 2012 की आपदा में मिले दुःख दर्द को सीने में लिए केदारघाटी के गांवों ने विषम परिस्थितियों से संघर्ष करते हुए स्वयं को खड़ा किया बताया कि यहां के लोगों ने जहां अपने पशुपालन खेतीबाड़ी से आजीविका को पुनः शुरू किया वहीं कुछ वर्ष तक ठप धार्मिक और सांस्कृतिक आयोजनों को भी फिर से शुरू कर जमीन से जुड़े होने का संदेश दिया वहीं स्थानीय निवासी अनूप तिवारी ने कहा कि आज ऊखीमठ में आई देवीय आपदा को 13 साल पूरे हो गए हैं लेकिन आज भी ऊखीमठ की जनता भारी बारिश व आकाशीय बिजली चमकने पर रातों रात जागते रहते हैं और डर डर के जीते है उन्होंने कहा कि आपदा को आये हुए आज 13 साल पूरे हो गए लेकिन ऊखीमठ आपदा प्रभावित क्षेत्रों में किसी भी स्थानीय नेताओं व सरकार का ध्यान नहीं रहता है कहा कि वे केवल वोट के समय गांवों में आते हैं और जीतने के बाद दुबारा मुड़ कर भी नहीं देखते हैं कहा कि केवल चुनाव के समय बड़े बड़े वादा पेश करते हैं लेकिन अभी भी हमारी शुद्ध लेने वाले कोई नहीं। वहीं दैवीय आपदा के 13 साल पूरे होने पर ऊखीमठ क्षेत्र के स्थानीय जनता व जनप्रतिनिधियों ने मृतक आत्माओं को श्रद्धांजलि देते हुए भगवान से प्रार्थना की है कि दिवंगत आत्माओं को स्वर्ग में शांति प्रदान करे।

 

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